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धण पैरै धनवांन री, भांत भांत रा वेस।
माड़ा वेस मजूरणी, नेगम जीवण नेस।।201।।

देह उगाड़ी डीकरां, पिव पट दरसै चांम।
गाभा चलाय गोरड़ी, कार्यां दै दै कांम।।202।।

आंणै टांणै ऊपरां, वेस कठूं मोलाय।
साजौ बाजौ देनगी, करै मजूरां काय।।203।।

बरसालौ
सूंटा लारै संत्तरै, मेह आसाढ मास।
बेटी लारै ज्यूं बणै, आंवण बेटै आस।।204।।

चेरवौ इसड़ौ चालियौ, धूज पड़ै हिव धीर।
विरखा लारै वापरै, बरसण निरमल नीर।।205।।

गाजै उतरादौ गजब, पड़ै बीज परलाट।
थरणां कापै देखतां, मजदूरां री माठ।।206।।

झूंपड़ियां छांनां झिलै, जौरां पैल झपेट।
बावल कावल आय बण, बिरखा पाछै भेट।।207।।

परदूसण परभाव सूं, बड़ मौसम बदलाव।
मेह धके आंधी इधक, उथलै सागर नाव।।208।।

गवाड़िया मजदूर घण, ताव मलेर्यौ ताय।
मोटी छांटा मेहरी, झपियोड़ां झिझकाय।।209।।

टूट्या कच्चा टापरा, जुड़ै न कमठै जोग।
बसती मं पांणी भरै, रया बदावण रोग।।210।।

मजदूरां भीड़ू बणै, नेता वोटां मांय।
गरज मिटी सह भूलगा, इणदिस फेर न आय।।211।।

बसती पांणी सूं भरी, कच्चा धुड़ै मकान।
काम घमआ अर बगत कम, धरै न नेता ध्यान।।212।।

करण मजूरी जाय कित, सावण बिरखा दौर।
पींपा तो खाली पड्‌या, नहीं अंटी में जौर।।213।।

कायौ हुय कंतौ करै, जौड़ायत सूं झौड़़।
चवै टापरा चौतरफ, नहीं बैठबा ठौड़।।214।।

मांचै सूती मावड़ी, रही मांदगी कांज।
आज दिनूगा र रही, नहीं दवाई सांझ।।215।।

टाबरिया थ्यावस नहीं, खांण आखथा होय।
गौरी आसूं गैरती, बर बर पींपौ जोय।।216।।

मजबूरी मजदूर री, छूटै कोनी छांन।
जिनस उधारी देणियौ, खोली नहीं दुकान।।217।।

सुरपुर बेटां बीनणी, सुणै न माजी साद।
गीला हुयगा गाभला, अंग खाट इतियाद।।218।।

कातौ कीच गवाड़ियां, बदबौ देवै बाट।
मचा राखियौ मांयनै, माछरिया भरणाट।।219।।

टापरिया यूं टपकता, दीनपणौ दरसाय।
पिव अलगा ज्यूं परणियां, आसूं रेण बहाय।।220।।

आला गाभा आवगा, गेह चवंतो जोय।
विरहण आंसू कारणै, ज्यूं पट गीला होय।।221।।

आलम झड़ियां रौ इयां, बरसालौ बरसाय।
मजदूरां दुख देखनै, आंसू गिगन गिराय।।222।।

निकलै तावड़ियौ नहीं, व्हारा मारग बेय।
रुकियौ जावण रासतौ, दरद मजूरां देय।।223।।

हरियाली धरती हुई, सरसै हरखै सोय।
निरधनता रै कारणै, हरख मजूरन न होय।।224।।

बिरखा सागै वायरौ, फांफ करै फेताल।
आ बहती उंतावली, कैयां बमवै काल।।225।।

मजूदरां रा मोहल्ला, फांफ रही फंफेड़।
धोड़ण सारू टापरा, करदी झड़िया कैड़।।226।।

थर थर धूजै थाकिया, डोकर टाबर डील।
मजदूरां घर मांयनै, टोटौ रहियौ लील।।227।।

धुड़गा कच्चा टापरा, रैवण नीं रैवास।
व्हैतौ घर लेता रया, सोरा दोरा सास।।228।।

पाड़ौसी विपदा पड़ी, झेलौ झड़ी झपीड़।
मजदूरां घर मोहल्लां, रहवै सांकड़ भीड़।।229।।

दबगौ करजै पैल दिल, पड़ छत दाबै ौर।
कूकै बैसी कामणी, बरसालै री भौर।।230।।

डाफी चढगी डोकरी, डुसक्यां खावै डेंण।
पूत कमाऊ गी परौ, मां-बापा दुख देंण।।231।।

रौ रौ थाक्यौ रातदिन, झाझौ बेटां जीव।
आई हियै अमूझणी, दिल कमजोरी धीव।।232।।

बीमौ नहीं करावियौ, नांणा सोटै नेह।
मरतां ही मजदूर रै, गारत हुयौग गेह।।233।।

सुख रा सीरौ व्है सबै, मालिक ठेकेदार।
मरता ही मजदूर रै, भूल जाय गुणकार।।234।।

नांव करावण सायता, छपै बड़ा समाचार।
पल्लै आधा ही पड़ै, मजदूरां परिवार।।235।।

सजगहीण सरकार रा, नोकर बड़ा निकांम।
मरियोड़ौ रै आसरित, देवै दोरा दांम।।236।।

कादै कीड़ा किलबलै, बौत दहै बदबोह।
़जीव गवाड़ी सुख जठै, मजदूरां रौ मोह।।237।।

कथनी करणी फरक घण, नेता राखण नांम।
भासण झूठा भाव रा, करण मजूरां कांम।।238।।

बहगा केई बाढ में, झूपड़ गेह मजूर।
नेता निरखण नीसरै, पखौ दिखावौ पूर।।239।।

भाशण में गंभीरता, और गलगलै आय।
दुख झूठा दरसाणिया, आंसूडा टपकाय।।240।।

हरी हरी धरती हुई, जोह जीव घण जोय।
जिनस तुठारां जीवणौ, हरित मजूर न होय।।241।।

बिरखा बरसै बारणै, हरख निरखियां होय।
मील फैकट्र्‌ी मांयनै, मन मजूर मसकोय।।242।।

चवतै घर री चिंतड़ी, उड उड हिवड़ै आय।
जीवन न लागै कां  में, मील फैक्टरी मांय।243।।

छतरी मूंघी ना छजै, छत री चिंता छाय।
असलेकां में भीजिया, बैमारी बण जाय।।244।।

करै निनांण करां कसी, लागा बरसण लूर।
बौ'रा रै बचनां बंध्यौ, खेतीहर मजदूर।।245।।

राखै बौ'रो रामजी, टांणौ पड़िया टेक।
मन बांध्यौ मजदूरियां, रै नीं लोपै रेक।।246।।

गावां में अजहूं घणा, रै बंधवा मजदूर।
करवै घर हालीपणौ, बौरां रै भरपूर।।247।।

सराजांम सरकार रा, रोकड़ पखिया रीझ।
किंद रया कानून कुल, कागद मांय कसीज।।248।।

नखतर रोहिणी नक्की, तावड़ गरम तपाय।
बाजै मिरगां बायरौ, मेह आदरा लाय।।249।।

मास आसाढ मजूरियां, खुस आड़गिया खया।
आवण बिरखा आस में, सहवै तपत सवाय।।250।।

उतरादी ब्यालू बगत, दामण चमकै दूर।
मेह कोड मजदूरियां, चमकै चहरै नूर।।251।।

आडंगियौ रहियौ इधक, सारै दिन सैंजोर।
मुलक पलक मजूरियां, परसेवौ अठपौर।।252।।

मिलगी वाटा मेलरी, परसेवौ भरपूर।
जमना गंगा रौ जियां, संगम देह मजूर।।253।।

खातावल करता खरी, गिगन घटा घनघोर।
भय भीजण रौ ना वड़ै, मनड़ै नाचै मौर।।254।।

तीज तिंवार
दुख दोरप भूलण दिवस, मिलजुल कर मनवार।
बंडका समझ बणाविया, तकड़ा तीज तिंवार।।255।।

हरख उछब हिवड़ै हुवै, करै गरीबां कार।
दीठ विग्यानी भालियां, ततबौ तीज तिंवार।।256।।

पहल खरच करणौ पड़ै, सरदा सारू सोय।
आयां तीज तिंवार उर, हरख मजूरां होय।।257।।

जोत करै जगदम्ब री, खातावल में खूब।
थ्यावस नांही थरपना, मजदूरां मनसूब।।258।।

सिंझ्या जीमण सांतरौ, दूज चेत दिन दौर।
घणी मनावै गोरियां, घर मजूर गिणगोर।।259।।

निराल कर वै नौरता, केई मिनख कमाल।
पार मजूरां नी पड़ै, हो जावै बेहाल।।260।।

मजदूरां मजबूरियां, समझण जीवण सीर।
भगती होवै भाईयां, सगती मुजब सरीर।।261।।

पूजै बैसाखी परव, मात पूजवै मंड।
मजूर मनावै मोकला, चित सूं चेटीचंड।।262।।

मौरम सौरम मायंली, अड़खंला आकूत।
तकड़ा काढै ताजिया, उर मजूर अभिभूत।।263।।

दिन काढै कर देनगी, खुस चोकड़ियां खोद।
अखै अमावस आवलियां, मजदूरां मन मोद।।264।।

निरभर रेवणिया नरां, केती ऊपर खास।
आछौ बरस उपावणी, आखातीज ज आस।।265।।

बड़गा कठै विसूंदरा, ताकण आखातीज।
मीटां जोण मजूरिया, रहवै सुगना रीझ।।266।।

गलवांणी रांधै घरां, ग्वारफली रौ साग।
सुगन सरोदा साजवै, भलौ मजूरां भाग।।267।।

कैर सांगरी कांदिया, अलगा राखण आज।
दुरलभ दरस विसूंदरा, लुकगा कर कर लाज।।268।।

पांतर गया परम्परा, किणरौ कहां कसूर।
आखातीज ज नांय अद, मोटा सहर मजूर।।269।।

नर नारी कर निरजला, ग्यारस धरम गुमेज।
अलगा रेय अवास सूं, जांण मजूरां जेज।।270।।

सिंझयारा रौ नांय सुख, सावण तीज समेत।
चिपगी हालत चामड़ी, हां मजदूरां हेत।।271।।

ना गहणौ गाभा नवा, तन मांही नीं तंत।
सुख नांही घर सुंदरी, करै मजूरी कंत।।272।।

हरियाली मावस हरी, जमी हुई घणजोर।
मन हरियौ न मजूरियां, पइसा बिन अठ पौर।।273।।

धनवानां री सायधण, दै फटकारा देह।
कुमलायौ तन कामणी, गुजर मजूरी गेह।।274।।

साधन सूं लागै सका, आछा तीज तिंवार।
जूण मजूरां जोह जग, पखौ नहीं परिवार।।275।।

आई ज्यूं ही ऊठगी, कांमण कंत न कार।
सावण तीज सुहावणी, लागै पइसां लार।।276।।

नेह बीर बैनड़ नखै, राखी बांधण रीत।
इणरी बात अलायदी, पूरी साखी प्रती।।277।।

बैनड़ आई बांधवा, राखी साख गरुर।
सीख देवतां संकलै, मनड़ौ भ्रांत मजूर।।278।।

राख्यां खाली जेब रह, मूंघी किम भोलाय।
ससतौ बैनड़ साख नीं, भाई मनड़ै भाय।।279।।

बड़ भाई बैनड़ बधै, देखै सुरगां देव।
वित गत हालत बापड़ी, साखी राखी सेव।।280।।

भलै किसन भगवान नूं, आठम जलम उडीक।
मोल न पड़ै मजूरियां, पावस पूरी पीक।।281।।

घी थोड़ौ सेवां घलै, खीर मिलै कद खांण।
गोगानम मोली घणी, तवूं मजूरां तांण।।282।।

मालपुआ पितरां मिलै, खूब अमावस खाय।
मही तुठार मजूरियां, मिल धनवांन मनाय।।283।।

भादूड़ै मेलौ भरै, रामदेवरै रोज।
मिन्नत मांग मजूरिया, चित में राखै चोज।।284।।

बूटाटी ख्याती बड़ी, लकवै फेर्यां आस।
चतुरदास म्हाराज रौ, मेलौ बांरूं मास।।285।।

जाम्यौ बाबौ झोरड़ै, हरिरांम हाजूर।
बेसक मेलौ भादवै, भरवीजै भरपूर।।286।।

ईसा मसीह ख्यांत इब, गरिमा मांनी गोड।
माफ करौ पुरखा मिनख, छित बदलावण छोड।।287।।

तन गायां हित त्यागियौ, मन रिच्छा मग मेर।
तेजाजी खरनाल, तप, चावा जग चोफेर।।288।।

देव झूलणी देखबा, रेवाड़ी सज राह।
नींमण लेवै न्हांवता, थिरा सरवरां थाह।।289।।

जम्भौजी री जौर री, मसूर धाम मुकांम।
मंछा पूर मजूर री, नांमी मेलौ नांम।।290।।

मनुवादी परथा मही, ऐ सराद आसोज।
जीमण व्यास जीमाविया, मिलै बडेरां मौज।।291।।

सोटौ भुगतै सांवठौ, लोग उधारौ लाय।
मा बेटा भूखां मरै, जीमण व्यास जिमाय।।292।।

सोलह दिन लग सांतरा, माल पंडितां मेल।
आय सरादां अवसही, घणौ खावियां गेल।।293।।

नामी आया नोरता, एकासण इदकार।
जै मजूर जगदम्बिका, करवै घर घर कार।।294।।

नेगम आवै नोरता, बरस बिचै दो बार।
चेती आसोजी चवां, धरम सनातन धार।।295।।

केला मा दरसण करण, मुलकां जाय मजूर।
प्याला ढाई पीवणी, मात भंवाल मसूर।।296।।

करणी माता साय कर, है सिसवां सिर हाथ।
गोठ गांव महिमा घणी, मांगलोद दधमात।।297।।

विस्व विख्यात वैस्वणी, कोलकत्ते कालीह।
तनोट बांकल तेमड़ै, भादरियै वालीह।।298।।

साय मजूरां संकरी, 'बड़ माता' विख्यात।
ध्यावम ऊभा धनवती, हाजर जोड़ै हात।।299।।

दसरावौ मेलौ दीपै, नगरी कोटा नांव।
दौड़ै मजूर देखवा, घमा नजीकी गांव।।300।।

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